पहलगाम आतंकी हमला 2025: फिर दहला कश्मीर, फिर रोया हिंदुस्तान

 "जहाँ जन्नत की कल्पना की जाती थी, वहाँ नरसंहार की चीखें गूंज उठीं।"

22 अप्रैल 2025 का दिन भारतीय इतिहास में एक और काला अध्याय जोड़ गया, जब कश्मीर के शांत और सुरम्य पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों को आतंकवाद की बर्बरता ने निगल लिया।

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🩸 मौत की वर्दी में आए दरिंदे

कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने सेना की वर्दी पहनकर हमला किया। उनका निशाना केवल पर्यटक नहीं थे, बल्कि वो शांति और सहिष्णुता की भावना को भी लहूलुहान करना चाहते थे। ज़िपलाइन पर लटकते एक पर्यटक के कैमरे ने जो दृश्य रिकॉर्ड किए, वो किसी भी इंसान को भीतर तक हिला देंगे।


🇮🇳 भारत का जवाब – सिर्फ शब्द नहीं, सर्जिकल वार

भारत ने इस नृशंस हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत PoK के आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की। यह सर्जिकल स्ट्राइक न केवल आतंक के खिलाफ चेतावनी थी, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश भी था कि अब हर आँसू का जवाब दिया जाएगा।


🔥 भावनाओं की लपटों में झुलसता देश

इस हमले के बाद देश भर में गुस्से की लहर दौड़ गई। कश्मीरी मुसलमानों को कई शहरों में निशाना बनाया गया, हालांकि कुछ जगहों पर सिख और हिंदू समुदायों ने मानवता का परिचय देते हुए उन्हें शरण दी।


🌐 अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गूंज

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूरोपीय देशों ने इस हमले की निंदा की और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन दिया। लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इसे "भारतीय प्रोपेगेंडा" बताया।


🕯️ अब सवाल यह नहीं कि हमला क्यों हुआ...

❗ सवाल यह है – हम कब तक सहते रहेंगे?

क्या आतंक के खिलाफ अब वैश्विक एकता नहीं बननी चाहिए? क्या बार-बार मरने वालों की लाशें ही हमारी चेतना जगाएँगी?


📌 अंतिम बात:
शांति की असली परीक्षा तब होती है जब आतंक का साया उस पर हमला करता है। पहलगाम की घटना हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि कश्मीर की जन्नत को बचाने के लिए अब सिर्फ कड़ी नीतियाँ ही नहीं, बल्कि एकता और विवेक की जरूरत है।

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